20 शवों की खुली ज़िप, प्राइवेट पार्ट्स उजागर लाशें देख डॉक्टर भी कांपे, आतंकियों की वहशत का खुलासा

जांच अधिकारियों ने पाया कि 20 से ज्यादा पीड़ितों के कपड़े जानबूझकर इस तरह से हटाए गए थे कि उनके धर्म की पहचान की जा सके।कपड़ों की हालत से खुली नीयत की परत सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रशासन की टीम ने जब शवों की स्थिति देखी तो हैरान रह गए। कई पीड़ितों की पतलून खुली हुई थी या घुटनों तक खींची गई थी, और कुछ के अंडरवियर से भी निजी अंग दिख रहे थे। इससे स्पष्ट संकेत मिला कि हमलावरों ने मरने से पहले पीड़ितों की धार्मिक पहचान की जाँच की, जो कि मानवता के खिलाफ एक बेहद अमानवीय कृत्य है।
'कलमा' और खतना की जांच से हुआ धर्म का निर्धारण गवाहों और चश्मदीदों ने बताया कि आतंकियों ने पीड़ितों से पहचान पत्र (जैसे आधार या ड्राइविंग लाइसेंस) दिखाने को कहा, कलमा पढ़वाया, और फिर उनसे अपने निचले वस्त्र हटवाए ताकि खतना की जांच कर सकें। इस बर्बर 'टेस्ट' के आधार पर जब आतंकियों को पीड़ितों की हिंदू पहचान का भरोसा हो गया, तो उन्होंने बेहद नज़दीक से गोलियां दाग दीं। इस हमले में मारे गए 26 लोगों में से 25 हिंदू थे, और सभी पुरुष।
जांच में जुटी एजेंसियां, साजिश का हो रहा पर्दाफाश इस अमानवीय कांड की तह तक जाने के लिए RAW, IB और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम सक्रिय हो गई है। जानकारी के अनुसार, त्राल, पुलवामा, अनंतनाग और कुलगाम जैसे आतंक प्रभावित इलाकों से करीब 70 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। शुरू में करीब 1,500 संदिग्धों को जांच के दायरे में लिया गया था, जिनमें से 70 पर खास तौर पर आतंकियों की रसद और ठिकाने देने में मदद का शक है।
क्या थी इस बर्बर हमले की मंशा? जांचकर्ता यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इस सुनियोजित नरसंहार के पीछे आख़िर मकसद क्या था — क्या यह धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश थी? क्या इसके पीछे कोई अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क है? और किस तरह इतने बड़े हमले के लिए स्थानीय मदद जुटाई गई?
सरकार की प्रतिक्रिया सरकार ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और पीड़ितों के परिजनों को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है। साथ ही दोषियों को जल्द ही पकड़कर सख्त सजा देने का भी आश्वासन दिया गया है।
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