स्मार्टफोन: पूरी दुनिया में भारत की 'धाक', अब तक 2 लाख करोड़ रुपये के स्मार्टफोन भारत ने किए एक्सपोर्ट

स्मार्टफोन, भारत की ओर से निर्यात की जाने वाली सबसे बड़ी कमोडिटी बन गई है. यह जानकारी सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) की ओर से शुक्रवार को दी गई.
वित्त वर्ष 25 में भारत ने अब तक सबसे अधिक 2 लाख करोड़ रुपये के स्मार्टफोन का निर्यात किया है.
इसमें सालाना आधार पर 55 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है.
पिछले वित्त वर्ष में निर्यात के साथ देश के मोबाइल फोन उत्पादन में भी वृद्धि देखने को मिली है और यह बढ़कर 5,25,000 करोड़ रुपये हो गया है जो कि वित्त वर्ष 24 में 4,22,000 करोड़ रुपये था.
आईसीईए के चेयरमैन, पंकज मोहिन्द्रू ने कहा, "यह भारत के बढ़ते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की क्षमता को दिखाता है. केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है. इससे स्केल हासिल करने में, वैश्विक निवेश आकर्षित करने और दुनिया के लिए एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनने में मदद मिल रही है.।"
निर्यात में तेज वृद्धि मुख्य रूप से पीएलआई योजना के रणनीतिक कार्यान्वयन के कारण है, जिसने भारत को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों में से एक के रूप में बदल दिया है.
इस योजना ने पर्याप्त वैश्विक निवेश आकर्षित किया है, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता क्षमता के साथ पैमाने को बढ़ाने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में गहराई से एकीकृत होने की देश की क्षमता बढ़ी है.
निर्यात में तेजी का नेतृत्व एप्पल और सैमसंग जैसी वैश्विक कंपनियों द्वारा किया जा रहा है, जिन्होंने भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग को काफी हद तक बढ़ाया है.
वैश्विक व्यापार गतिशीलता में हाल ही में हुए बदलावों, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ ने अमेरिकी बाजार में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए रणनीतिक अवसर खोले हैं.
मोहिन्द्रू ने कहा, "हमारा लक्ष्य भारत को सभी बड़े वैश्विक बाजारों के लिए प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर के रूप में स्थापित करना है. दुनिया को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत को एक स्वाभाविक और रणनीतिक विकल्प के रूप में देखना चाहिए."
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