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3 हजार मुस्लिम, महज 250 हिंदू वोटर, फिर भी गांव की सरपंच बनी हिंदू महिला, गजब भाईचारा..

  

3 हजार मुस्लिम, महज 250 हिंदू वोटर, फिर भी गांव की सरपंच बनी हिंदू महिला, गजब भाईचारा!

रियाणा (Haryana) के नूंह जिले का सिरोली (Sirauli) गांव. जनसंख्या के लिहाज से ये गांव मुस्लिम बहुल है. 3,296 मतदाताओं में से हिंदू वोटर्स की संख्या 250 है. यहां के ग्राम पंचायत में 15 पंच हैं.

जिनमें से किसी एक को इसका प्रमुख यानी कि 'सरपंच' चुना जाता है. इस बार 15 पंचों में से 14 पंच मुस्लिम समुदाय से हैं. सिर्फ एक पंच 'निशा चौहान' हिंदू समुदाय से हैं. इस मुस्लिम बहुल पंचायत में जब सरपंच चुनने की बारी आई, तो पंचों ने भाईचारे और एकता का अनूठा उदाहरण पेश किया. मुस्लिम पंचों ने सर्वसम्मति से एक हिंदू महिला को अपना सरपंच चुना.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नूंह हरियाणा के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है. जुलाई 2023 में विश्व हिंदू परिषद ने यहां एक मार्च का आयोजन किया था. इस मार्च को लेकर हमले की खबर आई. ये जिला सांप्रदायिक संघर्ष का केंद्र बन गया था. अब इसी जिले के एक गांव ने अमन-चैन की एक मिसाल पेश की है.

हिंदू-मुस्लिम एकता का उदाहरण

पंचायत अधिकारी नसीम ने कहा कि 2 अप्रैल को 30 साल की निशा चौहान को सिरोली का सरपंच चुना गया. नूंह जिले के किसी मुस्लिम बहुल गांव में हिंदू सरपंच चुने जाने का ये पहला मामला है. निशा चौहान ने कहा है कि ये मेवात की सदियों पुरानी हिंदू-मुस्लिम एकता का एक और उदाहरण है. उन्होंने कहा कि उनके यहां हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की लंबी परंपरा है. मेवात में कोई धार्मिक भेदभाव नहीं है. चौहान ने बताया कि उनका चुनाव पूरे क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देगा.

नूंह के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी शमशेर सिंह ने बताया कि सिरोली में 15 में से 8 पंच महिलाएं हैं. सरपंच का पद महिलाओं के लिए आरक्षित है. 2 अप्रैल को सरपंच के लिए चुनाव हुआ तो 15 पंचों में से 10 पंच मौजूद थे. सभी ने सर्वसम्मति से निशा चौहान के पक्ष में वोट दिया.

"हिंदू परिवार मुस्लिम पड़ोसियों को डांट सकता है…"

ये गांव पुन्हाना ब्लॉक में पड़ता है. दिसंबर 2022 में यहां पंचायत चुनाव हुए थे. विजेता सहाना को सरपंच चुना गया था. लेकिन फिर उनके शिक्षा प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे. इसलिए उनको फरवरी 2023 में बर्खास्त कर दिया गया. इसके बाद वार्ड सदस्य रुक्शिना ने मार्च 2024 में कार्यकारी सरपंच का पद संभाला. लेकिन उनका कार्यकाल भी छोटा रहा. क्योंकि उनके काम से असंतुष्ट पंचायत सदस्यों ने, इस साल फरवरी में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला दिया था.

सिरोली के पूर्व सरपंच अशरफ अली अब वार्ड सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि पंचों ने चौहान को इस उम्मीद में चुना कि पहले के सरपंचों से अच्छा काम करेंगी. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के दोनों धार्मिक समुदाय एक दूसरे के प्रति दुर्भावना नहीं रखते हैं. यहां एक हिंदू परिवार अपने मुस्लिम पड़ोसियों को डांट सकता है अगर वो कोई गलती करते हैं. हम एक दूसरे की शादियों और अन्य सामाजिक समारोहों में शामिल होते हैं.

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