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घर से एक साथ उठे 8 जनाजे, मंजर देख हर आंख हुई नम; इंसानियत तब हुई शर्मसार... जब एंबुलेंस के लिए मांगे गए पैसे...

  

घर से एक साथ उठे 8 जनाजे, मंजर देख हर आंख हुई नम; इंसानियत तब हुई शर्मसार... जब एंबुलेंस के लिए मांगे गए पैसे


पूर्वी दिल्ली। चार एंबुलेंस में 10 शव रविवार शाम को मुस्तफाबाद की गली नंबर दो में एकसाथ लाए गए। इनमें से तीन शव बच्चों के थे। इस दौरान गली में स्थानीय लोगों की भीड़ रही। 

एंबुलेंस से शवों को निकालने के साथ ही लोगों की आंखें नम हो गईं।

मकान मालिक तहसीन का शव सबसे पहले निकाला गया, फिर उनके बेटे नाजिम, दो बहुओं चांदनी व शाहीन, पोती आफरीन, पोते अनस व आठ माह का अफ्फान और किरायेदार दानिश इसके भाई नावेद व दूसरी किरायेदार रेशमा का शव था। शवों को देखते ही महिलाएं फफक पड़ीं।

जनाजे की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद छोटी पड़ गई। पहली बार ऐसा हुआ कि ईदगाह में जनाजे की नमाज हुई। शव यात्रा में करीब दो हजार लोग थे। देर शाम मुस्तफाबाद के कब्रिस्तान में सभी को दफनाया गया। लोगों ने दुकानें बंद रखीं।

वहीं, पड़ोसी मृतकों के परिवार को संभालने में लगे थे। हादसे में जिंदा बचे तहसीन के बेटे चांद का रो-रोकर बुरा हाल था। तहसीन के ससुर इशहाक का शव लोनी लेकर जाया गया। इशहाक गत रमजान में अपनी बेटी जीनत के घर रहने आए थे, हादसे में उनकी भी मौत हो गई।

बताया गया कि हादसे में तहसीन के परिवार के आठ लोगों की मौत हुई है। उनके परिवार में अब पत्नी जीनत, बेटा चांद, बड़ी बहू, चार पोते व एक पोती बचे हैं।

साप्ताहिक बाजार नहीं लगा

मुस्तफाबाद के पुराने 25 फुटा रोड पर रविवार को साप्ताहिक बाजार नहीं लगा। पहले ही पटरी वालों को सूचित कर दिया गया था कि वह यहां दुकानें लगाने न आएं। इसी रोड से एंबुलेंस में शवों को दयालपुर गली नंबर-दो में लाया जाना था। इसके चलते बाजार लगाने से रोका गया।

परिजन बोलें एंबुलेंस करने के लिए पैसे नहीं

हादसे में मारे गए 11 लोगों के शवों का पोस्टमॉर्टम जीटीबी अस्पताल में हुआ। आरोप है कि परिजनों से अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि एंबुलेंस का इंतजाम खुद करें। एक छोटी निजी एंबुलेंस का खर्च 600 आ रहा था। परिजनों ने कहा कि घर ढहने से उनका सबकुछ बर्बाद हो गया है, वह शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस के लिए पैसा कहां से लाएं। एंबुलेंस की व्यवस्था न करवाने पर परिजनों ने जिला प्रशासन प्रति नाराजगी जाहिर की।

मदद के लिए पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी आए आगे

हादसे में मारे गए 11 लोगों के परिजनों के पास एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं है। जब यह बात पद्मश्री व शहीद भगत सिंह सेवा दल के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह शंटी को पता चली तो वह चार बड़ी एंबुलेंस लेकर शवगृह पहुंचे। सभी शव नि:शुल्क मुस्तफाबाद पहुंचाए गए।

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