आतंकी हमले से दुःखी होकर मुस्लिम धर्म छोड़ा, दरगाह पर करवाई हनुमान चालीसा और भंडारा, मुस्लिम भी आए

उन्होंने इसी मौके पर दरगाह परिसर में भंडारे का आयोजन किया, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हुए। यह कार्यक्रम धार्मिक सौहार्द और आपसी समझ का प्रतीक बन गया।
पहले कव्वाली से प्रभावित होकर बदला था धर्म
श्यामू मूल रूप से हिंदू थे, लेकिन कव्वाली और सूफी संगीत से प्रभावित होकर उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था। हाल ही में जब उन्होंने यह खबर सुनी कि पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर लोगों की हत्या कर दी, तो उन्होंने इस घटना से गहरा आघात महसूस किया। इसके बाद उन्होंने कव्वाली का आयोजन बंद कर दिया और सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ और प्रसाद वितरण शुरू कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देकर हुई। उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर देश के शहीदों को नमन किया।
भटके रास्ते से लौटे श्यामू बोले- अब होगा भंडारा और पाठ
कभी शहाबुद्दीन बन चुके श्याम लाल उर्फ श्यामू ने अपने बयान में कहा कि पहलगाम की घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। उन्होंने कहा, "मैं भटक गया था और गलत रास्ते पर चला गया था।" समाज के लोगों से संवाद और उनके मार्गदर्शन के बाद उन्होंने दोबारा अपने मूल हिंदू धर्म में वापसी की है। श्यामू ने कहा कि अब हर साल दरगाह परिसर में भंडारा और हनुमान चालीसा का पाठ होगा। कव्वाली का आयोजन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
घर वापसी की लंबे समय से थी कोशिश: जीतू यादव
इस मामले में पूर्व पार्षद जीतू यादव ने बताया कि वह और अन्य लोग काफी समय से श्यामू की घर वापसी के प्रयास में जुटे थे। उन्होंने कहा, "जब पहलगाम में कायराना हमला हुआ, हमने इसकी पूरी जानकारी श्यामू के परिवार को दी। इसके बाद परिवार ने विचार कर यह निर्णय लिया कि मुस्लिम धर्म में रहना उचित नहीं।" जीतू यादव ने बताया कि यह फैसला पूरी तरह से पारिवारिक और आत्मचिंतन का परिणाम है।
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