शादी के डेढ़ महीने बाद तिरंगे में लिपटकर आया शहीद, बेसुध हुई मां, नई नवेली दुल्हन का हुआ बुरा हाल

जैसे ही विजय की देह चिड़ावा-लुहारू बाइपास स्थित घर पर लाई गई पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों के साथ-साथ आसपास के लोगों की आंखें नम हो गईं।
दो महीने की छुट्टी के बाद लौटे थे ड्यूटी पर
विजय सिंह की शादी हाल ही में 18 फरवरी को झुंझुनूं जिले के कलगांव की मोनिका से हुई थी। शादी के बाद वे दो महीने की छुट्टी पर अपने घर पर रहे और 28 मार्च को ही वे फिर से अपनी ड्यूटी पर लौटे थे।
आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद
सेना के एक जवान के अनुसार विजय सिंह यादव 5 अप्रैल की सुबह जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए। हालांकि स्थानीय प्रशासन के पास अब तक इस संबंध में आधिकारिक सूचना नहीं पहुंची है जिससे परिवार और गांव वालों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
पारंपरिक सलामी और सैनिक सम्मान
अंतिम यात्रा सैनिक सम्मान के साथ निकाली गई जिसमें राष्ट्रीय राइफल के जवानों ने पारंपरिक हवाई फायर कर विजय सिंह को अंतिम सलामी दी। पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
परिवार में इकलौते बेटे थे विजय
विजय सिंह मूल रूप से बुहाना के गांव खांदवा के रहने वाले थे लेकिन लंबे समय से उनका परिवार पिलानी में रह रहा था। उनके पिता बिजेन्द्र सिंह भी सेना की राष्ट्रीय राइफल में अपनी सेवा दे चुके हैं। विजय सिंह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनके परिवार में दो बहनें भी हैं - एक बड़ी और एक छोटी।
मां और पत्नी की हालत बेहद खराब
पार्थिव देह के पहुंचते ही मां रेणु देवी अपने बेटे को देख बेसुध हो गईं वहीं पत्नी मोनिका का रो-रोकर बुरा हाल था। पूरे घर में शोक और पीड़ा का माहौल था। पड़ोसी और रिश्तेदार भी उन्हें ढांढस बंधाते नज़र आए।
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