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एक कुर्सी के चक्कर में पहलगाम पर हमला, पाकिस्तान के पत्रकार ने ही बता दिया मास्टरमाइंड का नाम

 

एक कुर्सी के चक्कर में पहलगाम पर हमला, पाकिस्तान के पत्रकार ने ही बता दिया मास्टरमाइंड का नाम

पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के इशारे पर ही पहलगाम में आतंकी हमला हुआ है. यह खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि पाकिस्तान के ही वरिष्ठ पत्रकार आदिल राजा ने की है. आदिल राजा ने पाकिस्तान के खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा है कि असीम ने जानबूझकर पहलगाम में हमला कराया है, जिससे उसके खिलाफ चल रहे मामले को शांत किया जा सके. आदिल राजा पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हैं और ह्यूमन राइट्स वाच के लिए काम करते हैं. 

मुनीर के इशारे पर हमला- आदिल

आदिल राजा ने कहा कि यह पोस्ट जब मैं लिख रहा हूं तो लोग मुझे भारतीयों का एजेंट बताएंगे, लेकिन जो सच है कि वो यह कि पहलगाम का हमला मुनीर के कहने पर ही हुआ है. कई वरिष्ठ अधिकारियों ने यह बात ऑफ रिकॉर्ड कही है.

आदिल के मुताबिक मुनीर ने पहले विदेशी पाकिस्तानियों को बुलाकर भड़काऊ बयान दिया और फिर इस तरह का हमला करवाया. मुनीर के इस गलती का खामियाजा पूरे पाकिस्तानी भुगतेंगे. शहबाज तुरंत मुनीर को हटाएं नहीं तो मामला और बिगड़ेगा.

आदिल राजा के इस पोस्ट को इमरान खान की पार्टी के समर्थक खूब शेयर कर रहे हैं. इमरान समर्थकों का कहना है कि मुनीर को हटाकर खान को वापस लाया जाए, तभी पाकिस्तान की स्थिति सुधर सकती है.

कौन हैं पत्रकार आदिल राजा?

पेशावार के मूल निवासी आदिल राजा पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई लिखाई इस्लामाबाद के काएद-ए-आजम यूनिवर्सिटी से की है. 17 वर्ष से आदिल पाकिस्तान के पत्रकारिता में सक्रिय हैं. वर्तमान में वे अपना एक ब्लॉग सैनिकों की सुनो नाम से चलाते हैं.

सोशल मीडिया पर आदिल के 16 लाख फॉलोअर्स हैं. पीपीपी के प्रमुख और सरकार के हिस्सेदार बिलावल भुट्टो जरदारी भी आदिल को फॉलो करते हैं. आदिल अक्सर इमरान खान के लिए लिखते हैं. आदिल की गिनती पाकिस्तान के उन पत्रकारों में होती है, जो सेना और सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहते हैं.

26 की मौत पर भारत में उबाल

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को द रेजिडेंट फ्रंट के आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी. इस घटना के बाद से ही भारत में उबाल है. भारत ने इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है. द रेजिडेंट फ्रंट की स्थापना 2019 में पाकिस्तान में हुई थी.

टीआरएफ को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से ही फंड मिलता है. टीआरएफ के आका को भी पाकिस्तान ही शरण देता है. यही वजह है कि भारत ने पहली बड़ी कार्रवाई पाकिस्तान पर की है.

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