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खान युग खत्म! आखिर क्यों चला गया बॉलीवुड से सुपरस्टार का दौर?

 

खान युग खत्म! आखिर क्यों चला गया बॉलीवुड से सुपरस्टार का दौर?


गुजरे जमाने के सुपरस्टार राजेश खन्ना का एक मशहूर डायलॉग है- इज्जतें, शोहरतें, चाहतें, उल्फतें… कोई भी चीज दुनिया में रहती नहीं… आज मैं हूं जहां कल कोई और था… ये भी एक दौर है वो भी एक दौर था… वाकई ये फिल्म इंडस्ट्री है जहां सुपरस्टार्स के दौर बदलते रहे हैं.

कभी दिलीप कुमार, शम्मी कपूर और देव आनंद का दौर था, उसके बाद राजेश खन्ना का दौर आया… और उसके बाद फिर एंग्री यंग मैन, महानायक, बिग बी अमिताभ बच्चन का दौर… हर दौर की अलग-अलग बातें, अलग-अलग शोहरतें और चाहतें… इसके बाद आया तीनों खान का दौर, जिसने नब्बे के दशक में लोकप्रियता के पैमाने बदल दिये लेकिन कहते हैं- हर एक सुबह की शाम होती है.

आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान तीनों खान आज की तारीख में साठ साल के हो रहे हैं. इनमें आमिर खान ने तो साठोत्सव को सेलिब्रिट भी कर लिया है बाकी दोनों खान भी इस साल लाइफ के इस अहम पड़ाव पर पहुंचने का उत्सव मनाने वाले हैं. उम्र के इस मोड़ पर आते-आते इन्होंने फिल्मों की संख्या ही कम नहीं की बल्कि इनकी फिल्में दर्शकों में वो जादू नहीं जगा पा रही हैं, जो आज से दसेक साल पहले देखा जाता था. कोविड के कुछ सालों पहले से देखा जा रहा है सलमान, आमिर और शाहरुख की फिल्मों की संख्या धीरे-धीरे कम होती गईं.

शाहरुख अब सीधे 2026 में दिखेंगे

एक समय हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का बिजनेस इन तीनों खान के कंधे पर टिका था. एक साल में चार से पांच फिल्में भी रिलीज होती थीं और सभी ब्लॉकबस्टर. दर्शक इनको हर रोल में देखने के लिए बेताब होते रहते थे. लेकिन अब समीकरण बदलने लगा है. बादशाह खान से पहले जीरो बने. वह चमत्कार नहीं कर सके जो बाजीगर वाले टाइम में किया था. जीरो के तीन साल बाद पठान और जवान ने बेशक उन्हें एक बार फिर सुर्खियों में ला खड़ा किया लेकिन इसकी कामयाबी केवल शाहरुख के स्टारडम पर नहीं थी. फिल्म की कहानी, किरदार, डायरेक्शन, बॉलीवुड-साउथ सिनेमा का कंबिनेशन आदि सभी ने मिलकर प्रभाव पैदा किया था.

पठान और जवान के बाद शाहरुख अब सीधे अगले साल यानी 2026 में किंग में नजर आएंगे. दर्शकों को इंतजार रहेगा किंग में किंग खान कैसा प्रभाव पैदा करते हैं. या कि क्या कहानी लेकर आते हैं. हालांकि इस बीच शाहरुख के बेटे आर्यन और बेटी सुहाना ने जरूर नई उम्मीद जगाई है, लेकिन वह रिवील होना बाकी है.

सलमान ने 7 साल से ब्लॉकबस्टर नहीं दिया

इसी तरह अपने फैन्स को एंटरटेन करने की पक्की कमिटमेंट करने वाले दबंग सलमान खान साल 2017 की ‘टाइगर जिंदा है’ के कोई भी ब्लॉकबस्टर नहीं दे सके हैं. इस बीच उनकी राधे, टाइगर-3, भारत, अंतिम, किसी का भाई किसी की जान से लेकर हाल की सिकंदर ने भी बॉक्स ऑफिस पर कोई चमत्कार नहीं किया. स्क्रीन पर सलमान की बढ़ती उम्र का साफ असर देखा जा रहा है. सिकंदर की कहानी ने दर्शकों को बहुत निराश किया. फिल्म बुरी तरह से पिट गई.

सुल्तान, दबंग, बजरंगी भाईजान, किक, वांटेड आदि फिल्मों ने सलमान खान को सुपरस्टार बनाया लेकिन साठवें साल तक आते-आते उनका सुपरस्टारडम का जादू खत्म होता दिख रहा है. दबंग खान को उनके फैन्स ने मानो अब राम-राम बोल दिया है. फ्लॉप फिल्मों ने पैसे तो थोड़े बहुत जरूर कमा लिये लेकिन कहानी के मोर्चे पर ये फिल्में नापसंद की गईं. सलमान की आने वाली फिल्मों के नाम मीडिया रिपोर्ट में आ रहे हैं लेकिन औपचारिक ऐलान का इंतजार है कि उनमें सलमान का किरदार किस किस्म का होगा. सारा दारोमदार इसी बात पर टिका है कि सलमान रोमांटिक नायक वाली छवि से कब बाहर निकलते हैं.

आमिर लेकर आ रहे हैं सितारे जमीं पर

उधर आमिर खान ने सलमान और शाहरुख के मुकाबले अपनी अलग समझदारी दिखाते हुए पर्दे पर रोमांस करने वाले किरदारों से खुद को पहले ही किनारे कर लिया था. ‘तारे जमीन पर’ के हीरो की अब अगली फिल्म ‘सितारे जमीं पर’ आने वाली है. आमिर अपनी हर फिल्म में अपने लिये खास गेटअप वाले किरदार को गढ़ते हैं. यह गेटअप कई बार फिल्म को हिट बनाने में कामयाब हो जाता है तो कई बार कहानी पर भी हावी हो जाता है. लाल सिंह चड्ढ़ा को दर्शकों ने कोई खास पसंद नहीं किया. देखना है सितारे जमीं पर क्या करिश्मा कर दिखाती है.

कुल मिलाकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के खान युग की अनौपचारिक घोषणा हो चुकी है. पिछले तीन दशक से इन तीनों सुपरस्टार ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है. इस बीच फिल्मी दुनिया में सितारों की नई पीढ़ी आई तो दर्शकों की भी नई पीढ़ी आ गई. नई पीढ़ी मतलब नई चेतना, नई सोच, नई संवेदना, नया विकास. जाहिर सी बात है ये नई पीढ़ी पर्दे पर कुछ ऐसा देखना चाहती है जो जरा अलग हो. पिछले दिनों की ब्लॉकबस्टर फिल्मों ने ये करिश्मा करके भी दिखाया. इनमें केवल सुपरस्टार्स की फिल्में नहीं थीं बल्कि एकदम युवा और अनजाने कलाकारों वाली फिल्में भी थीं. मसलन अगर शाहरुख की पठान, जवान ब्लॉकबस्टर हुई तो रणबीर कपूर की एनिमल, विक्रांत मैस्सी की 12वीं फेल, लापता लेडीज, स्त्री 3, भूल भुलैया 3 या अमिताभ-प्रभास की कल्की आदि.

सुपरस्टार का दौर खत्म हो गया?

तो क्या खान युग के खत्म होने के बाद बॉलीवुड से सुपरस्टार का दौर भी खत्म हो गया? क्योंकि अक्षय कुमार, रितिक रोशन या अभिषेक बच्चन से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती. अक्षय कुमार करीब तीस साल से एक्टिंग कर रहे हैं, वहीं रितिक रोशन और अभिषेक बच्चन भी ढाई दशक पूरा कर चुके हैं. रितिक रोशन काबिल अभिनेता जरूर हैं, लेकिन सुपर 30 और कुछ मल्टीस्टारर छोड़ दें तो रितिक रोशन ने ज्यादातर अपने पापा राकेश रोशन की फिल्मों का ही नाम रोशन किया है. लिहाजा पिछले एक दशक के दौरान आए अभिनेताओं की सूची पर ध्यान दें तो राजकुमार राव, विकी कौशल, रनबीर कपूर, रणवीर सिंह, आयुष्मान खुराना, वरुण धवन, कार्तिक आर्यन और अर्जुन कपूर की ओर देखना पड़ जाता है.

दूसरी तरफ दक्षिण अल्लू अर्जुन, रामचरण, प्रभास आदि स्टार्स ने पैन इंडिया जलवा जरूर बिखेरा है लेकिन ये हिंदी फिल्मों के स्टार्स के आगे चुनौती बन कर ही उभरे हैं. सवाल है क्या हम इन स्टार्स को आज का सुपरस्टार घोषित कर सकते हैं? क्या ये स्टार तीनों खान की जगह की भरपाई कर सकेंगे? हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बिजनेस और सफलता का आमतौर पर ज्यादा हिस्सा जिस तरह की पर्सनाल्टी वाले हीरो के कंधे पर टिका रहा है, क्या ये नये कलाकार उस आकांक्षा को पूरी कर पाने में सफल होते दिखते हैं? क्या ये अभिनेता पूरे दशक को प्रभावित करने वाले कलाकार नजर आते हैं? या हमें किसी नये नायक का इंतजार करना चाहिये? या, क्या हमें यह मान लेना चाहिये कि अब हमें वैसे प्रभाव वाले किसी नायक की जरूरत ही नहीं है.

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