पूजा करते समय मन में आती है 'काम भावना' या नकारात्मक विचार? किस बात का संकेत है ऐसा होना? जानें पंडित जी की राय

Puja Me Milne Wale Sanket : पूजा एक ऐसा समय होता है जब हम अपने दिल और आत्मा को शुद्ध करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कभी-कभी पूजा करते समय हमारे मन में अचानक ऐसी भावनाएं उत्पन्न हो जाती हैं, जो हमारी मानसिक स्थिति को प्रभावित करती हैं.
पूजा के दौरान उठने वाली इन भावनाओं को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि इनसे हम अपने अंदर की स्थिति को जान सकते हैं. खासतौर पर नकारात्मक भावनाओं के रूप में आ रही मानसिक स्थिति के संकेतों को समझना किसी भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है. इन संकेतों के जरिए से हम अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और बेहतर बना सकते हैं. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि पूजा के दौरान मन में उत्पन्न होने वाली अलग-अलग भावनाओं के पीछे के कारण और उनके संकेत क्या हो सकते हैं.
पूजा के समय मन में काम भावना का आना
कभी-कभी पूजा करते समय आपके मन में अचानक काम भावना आ जाती है, जो एक सामान्य मानवीय स्वभाव हो सकती है. यह भावना किसी व्यक्ति के लिए नकारात्मक नहीं मानी जाती, क्योंकि दांपत्य जीवन में यह स्वाभाविक होती है. हालांकि, अगर यह भावना पूजा के दौरान इतनी अधिक बढ़ जाए कि आप किसी गलत उद्देश्य या गलत व्यक्ति के बारे में सोचने लगें, तो यह एक चेतावनी हो सकती है. पंडित जी के अनुसार, जब पूजा करते समय काम भावना बहुत ज्यादा बढ़ने लगे, तो यह इस बात का संकेत है कि आपका मन शुद्ध नहीं है और आपको अपनी मानसिक स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है.
अगर आपका मन दांपत्य जीवन के रिश्ते में विश्वास और सम्मान से जुड़ा हुआ है, तो ऐसी भावनाएं पूजा में कोई बाधा नहीं डालतीं. लेकिन अगर ये भावनाएं किसी बाहरी आकर्षण या अव्यवस्थित विचारों से उत्पन्न होती हैं, तो यह आपके मानसिक संतुलन की कमी को दर्शाता है. पूजा के समय मन की शुद्धता और एकाग्रता को बनाए रखना जरूरी होता है, ताकि आप ईश्वर से सच्चे मन से जुड़ सकें.
पूजा के समय मन में क्रोध और ईर्ष्या का आना
पूजा के दौरान अगर आपके मन में क्रोध या ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाएं आ रही हैं, तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है. पूजा के समय अगर आप भगवान से नाराज होते हैं या उनसे कोई शिकायत रखते हैं, तो यह आपके भक्ति भाव की कमी और मानसिक अशांति को दर्शाता है. इससे यह संकेत मिलता है कि आपकी श्रद्धा में कोई कमी है, या आप किसी कारणवश अपने मन को शांति नहीं दे पा रहे हैं.
वहीं, अगर पूजा के दौरान किसी अन्य व्यक्ति के प्रति क्रोध या ईर्ष्या उत्पन्न हो रही है, तो यह और भी गहरी बात है. ऐसा होना यह दर्शाता है कि आप अपनी आंतरिक शांति और संतुलन खो रहे हैं, और आपकी भावना भगवान से दूर हो रही है. पंडित जी के अनुसार, ऐसे समय में यह जरूरी है कि आप अपने मन की गंदगी को साफ करें और दूसरों के प्रति दयालुता और सहिष्णुता को बढ़ावा दें
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