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प्रधानों की शक्तियों से छेड़छाड़ नहीं, CM ने बैठक के बाद जारी अधिसूचना वापस लेने का किया ऐलान

 



मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पंचायती राज प्रतिनिधियों से कहा है कि पंचायत प्रधानों की शक्तियों से छेड़छाड़ राज्य सरकार की मंशा नहीं है। वह खुद भी पहले पार्षद रहे हैं। हालांकि शहरी निकायों में पार्षद और पंचायत में प्रधान का रोल अलग-अलग होता है। उन्होंने कहा कि पंचायत में प्रधान ही टेंडर करेंगे। यदि एक महीने में पंचायत प्रधान टेंडर नहीं कर पाएगा, तो यह काम बीडीओ को जाएगा। 

इस बारे में पहले जारी नोटिफिकेशन को वापस लेने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए। मुख्यमंत्री से यहां प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की तथा पिछले दो वर्षों में उनके मानदेय में दो गुना वृद्धि करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के मानदेय में इतनी महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 

उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी विभिन्न मांगें भी रखीं, जिन पर उन्होंने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में पंचायती राज संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संविधान में ऐतिहासिक 73वें तथा 74वें संशोधन के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया था। इस ऐतिहासिक कदम से महिलाएं सशक्त हुई हैं तथा प्रदेश के विकास में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की है।

 मुख्यमंत्री ने पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से अपने क्षेत्रों में नशे की समस्या को रोकने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयासों में सक्रिय सहयोग देने का आह्वान किया तथा कहा कि राज्य सरकार नशा तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। 

उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को नशा तस्करों के संबंध में जानकारी अधिकारियों के साथ साझा करनी चाहिए, ताकि युवाओं को नशे के चंगुल से बचाया जा सके। इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक विवेक शर्मा व अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे।

किसान हित में बड़े फैसले ले रही प्रदेश सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के उत्थान को प्राथमिकता दे रही है तथा इस संबंध में अनेक कदम उठाए गए हैं। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हल्दी के लिए 90 रुपए प्रति किलोग्राम, प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं के लिए 60 रुपए प्रति किलोग्राम तथा मक्का के लिए 40 रुपए प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है। राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में मनरेगा की दैनिक मजदूरी में 80 रुपए की वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि भविष्य में यह उपाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।

बिना एफआरए क्लियरेंस बनीं 2183 सडक़ें

सीएम बोले, सडक़ों के नियमितीकरण को याचिका दायर करेगा वन विभाग

वन विभाग द्वारा वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) 1980 का उल्लंघन करके निर्मित सडक़ों के नियमितीकरण की मांग को लेकर 10 मई से पहले न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर की जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वन विभाग की एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता के दौरान व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए ऐसी सडक़ों के नियमितीकरण के लिए कानूनी सहायता लेने की आवश्यकता पर बल दिया तथा इस संबंध में विभाग को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। 

राज्य भर में ऐसी 2183 सडक़ें हैं, जिनमें शिमला जोन में 613, मंडी जोन में 821, हमीरपुर जोन में 254 तथा कांगड़ा जोन में 495 सडक़ें शामिल हैं। ये सडक़ें राज्य में वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत निर्मित की गई हैं, जिसे हिमाचल में वर्ष 2016 में लागू किया गया था। बैठक में मंत्री हर्षवर्धन चौहान, अनिरुद्ध सिंह के साथ केके पंत, शरद कुमार लगवाल, संजय सूद अ आदि अधिकारी भी उपस्थित थे।

मई में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी जाएंगे मुख्यमंत्री सुक्खू

शिमला — हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक बड़ी पहल की है। मई में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और वरिष्ठ अधिकारी लंदन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का दौरा करेंगे। हाल ही में हुए एमओयू के तहत 12 जिलों के 33,300 शिक्षकों को आधुनिक मूल्यांकन और शिक्षण तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

इसी समझौते के तहत पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों की एक टीम कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की यात्रा पर जा रही है। इस दौरान कुछ विधायक भी उनके साथ होंगे। यह दौरा हाल ही में साइन किए गए एमओयू के तहत किया जा रहा है, जिसमें हिमाचल सरकार ने कॉन्विजीनियस के साथ मिलकर भागीदारी की है। 

इस एमओयू के अंतर्गत प्रदेश के सभी 12 जिलों के कुल 33,300 शिक्षकों को आधुनिक शैक्षणिक तरीकों और मूल्यांकन प्रणाली की जानकारी दी जाएगी। शिक्षकों को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा चार मुख्य मॉड्यूल्स पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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