सेना, ISI या... पाकिस्तान में आतंकियों को कौन टपका रहा? खुल गया अज्ञात बंदूकधारियों के खौफ का राज

Al Qaeda And Pakistan: साथ मिलकर कदम से कदम मिलाकर चलते थे. उनके सह पर भारत में दहशत मचाते थे. मगर, अब स्थिति ऐसी हो गई है कि अपने ही उनका देश, फौज और खुफिया एजेंसी ही उनके जान की दुश्मन बन गए है.
एक के बाद एक कई धार्मिक गुरुओं की हत्या के बाद आतंकी संगठन अलकायदा अपनी ही सरकार पाकिस्तान पर भड़क उठा है. उसका आरोप है कि सरकार और उनकी खुफिया एजेंसी चुन-चुन कर विरोधियों की आवाज दबा रही है. उन्होंने कहा कि जो भी मौलाना सरकार की नीतियों और उनके खिलाफ आवाज उठाता है, तो उनकी आवाज हमेशा के लिए दबा दी जाती है.
अलकायदा ने हाल ही 68 पेज की पत्रिका निकाली है. इसमें पाकिस्तानी हुकूमत, ISI और सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उसने अपनी पत्रिका में कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक गुरुओं या धार्मिक विचारों की हत्याएं हो रही है. इन हत्याओं के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) है. आतंकवादी संगठन का आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना की यह पुरानी आदत है. उनके खिलाफ जब कोई जाता है या उसके गलत कार्यों को रोकने की कोशिश करता है तो वह उनकी आवाजों को हमेशा के लिए दबा देती है. यहां तक की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और सेना मिलकर उस व्यक्ति या संगठन की जान लेने से भी नहीं चूकते.
अज्ञात बंदूक धारी मार कर चले जा रहे
अलकायदा ने पत्रिका में सरकार से कई सवाल पूछे हैं. उनका कहना है कि सेना या आईएसआई हमलावरों को पकड़ क्यों नहीं पा रही हैं? दरअसल, हमलावर उनके द्वारा ही हायर किए गए हैं. हमलावर उन्हीं लोगों के बीच का है. ऐसे में वे उसे कैसे पकड़ सकते हैं. आतंकवादी संगठन ने कहा कि यह कैसे संभव हो सकता है कि कोई आदमी या संगठन पाकिस्तान में धार्मिक गुरुओं या उनके प्रचारकों या संगठनों में बड़े पदों पर बैठे लोगों की लगातार हत्या कर रहे हैं. सेना, सरकार और आईएसआई उनको अज्ञात बंदूक धारी कह रही है.
मौलानाओं की लगातार हत्या
पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन अलकायदा, लश्कर और जैश से जुड़े लोगों की लगातार हत्याएं हो रही है. खबरों में उसे अज्ञात बंदूक धारी बताया जा रहा है. पिछले कुछ महीनों में वहां एक दर्जन से अधिक ऐसी हत्याएं हो चुकी हैं. पाकिस्तान सेना और सुरक्षा बल इन हत्याओं के पीछे दूसरे देशों का हाथ बताते हैं. जबकि उसके सहयोगी आतंकवादी संगठन अलकायदा ने ही अब उसकी पोल खोल दी है. इसके पहले अन्य आतंकवादी संगठनों ने भी इन हत्याओं के पीछे आईएसआई और सेना का नाम लिया था.
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