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Sindoor : हर्बल गार्डन नेरी में सिंदूर की लालिमा, ट्रायल सफल, फसल से निकले लाल रंग के बीज

 


हिंदू धर्म में सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माने जाने वाले सिंदूर की खेती अब पहाड़ी राज्य हिमाचल में भी हो सकेगी। कुमकुम ट्री या कामिला ट्री के नाम से प्रसिद्ध सिंदूर की खेती का जिला हमीरपुर स्थित हर्बल गार्डन नेरी में किया गया ट्रायल सफल हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि आजकल इन पौधों में लगे बीजों के गुच्छों में सिंदूर की रंगत साफ दिखाई दे रही है। 

ऐसा माना जा रहा है कि उप उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में तैयार होने वाले सिंदूर की खेती की ओर यदि सरकार ध्यान देती है, तो आने वाले समय में यह किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने का एक अहम जरिया साबित हो सकता है। 

बता दें कि साउथ अमरीका में पैदा होने वाली बिक्सा ओरेनाला सिंदूर की प्रजाति के बीज कुछ वर्ष पूर्व महाराष्ट्र से लाए गए थे और हर्बल गार्डन नेरी में उनके अंकुरण का ट्रायल किया गया था। करीब डेढ़ दर्जन पौधे यहां अंकुरित हुए थे और अब करीब तीन साल बाद उन्होंने फल देना भी शुरू कर दिए हैं।

लगभग पांच से छह फीट हाइट वाले ये पौधे हिमाचल में सिंदूर की खेती का संकेत दे रहे हैं। एक पौधे से डेढ़ से दो किलोग्राम तक सिंदूर निकलने का दावा किया जा रहा है। मौजूदा समय में बाजारों में सिंदूर की कीमत 500 रुपए प्रति किलोग्राम के लगभग बताई जाती है। 

हालांकि बाजारों में सिथेटिंक सिंदूर का ज्यादा चलन है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि सिंदूर के पेड़ों में लगने वाले बीजों से निकलने वाला सिंदूर नेचुरल होता है, लेकिन प्रोसेसिंग के समय इसमें शीशा मिला दिया जाता है, जिससे यह हानिकारक हो जाता है।

सौंदर्य प्रसाधन बनने हैं

सौंदर्य प्रसाधनों जैसे लिपस्टिक, क्रीम, हेयर डाई, नेल पॉलिश जैसी कॉस्मेटिक चीजों में सिंदूर का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कलरफुल वटर, राइज को रंगने इत्यादि में भी सिंदूर का प्रयोग किया जाता है। इसी तरह पेंट बनाने और कपड़ों की रंगाई में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसकी खेती से मिलावटी सिंदूर से बनी चीजों से बचा जा सकता है।

औषधीय रूप में इस्तेमाल

सिंदूर के पेड़ के बीज और पत्तों व का इस्तेमाल आयुर्वेद में भी किया जाता है। इसके पत्तों से लेकर जड़े, छाल और बीज सब इस्तेमाल किए जाते हैं। कुष्ठ रोग से लेकर झाइयों और फुंसियों को दूर करने में सिंदूर के बीच इस्तेमाल किए जाते हैं। बीज या पत्तों से कब्ज, पेट फूलना, अल्सर और रक्तस्त्राव इत्यादि को ठीक किया जा सकता है।

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